Saturday, November 21, 2015

राबड़ी के लालों की बात, लालू जी की लात.


 
बकौल लालू प्रसाद, बिहार के नए स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव उनके बड़े बेटे हैं। लेकिन सरकारी कागज में वो अपने सचमुच के छोटे भाई से छोटे हैं। सरकारी कागज के मुताबिक उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव का जन्म अपने बड़े भाई से पहले हुआ है। अब दोनों कब पैदा हुए ये तो राबड़ी देवी ही बता पाएंगी। लेकिन वो भी कैसे बता पाएंगी, कितने बच्चों के जन्म का कितना हिसाब रखेगी। “हो गया होगा पैदा कभी। कब हुआ? इसका ध्यान?  भोजपुरी में जवाब देंगी तो ऐसे ही बोलेंगी कि “कौनों एको दूगो बियाये हैं, एक्के गो जनमाए हैं जो गिनती... औरी आगे-पीछे का ध्यान रखते हम? फालतू का सवाल कर रहे है.... कब पैदा हो गया इससे का फरक पड़ता है?।“
 
बस इसी ध्यान नहीं रखने के रवैये से... बड़े भाई तेज प्रताप, अपने छोटे भाई से छोटे हो गए। और छोटे भाई अपने बड़े भाई के ही बड़े भाई हो गए। जन्म की तारीख के दस्तावेजीकरण में लापरवाही।आम आदमी को  नानी याद दिला देती है। धोखाधड़ी, चार-सौ-बीसी... सबका भोग भोगना पड़ता है। दरअसल जन्म की तारीख से छेड़छाड़ धोखाधड़ी और गैरकानूनी है। क्योंकि उम्र के मुताबिक ही इस देश में नौकरियां, पदोन्नति और रिटायरमेंट मिलता है उसके बाद की सुविधाएं भी मिलती हैं। सीनियरिटी और जूनियरिटी का बड़ा खेल होता है है। तो इस बात का स्पष्टिकरण बेहद जरूरी है कि लालू के दोनों मंत्री बेटे इस धरती पर ठीक-ठीक अवतरित कब हुए थे? और उसका गलत दस्तावेज चुनाव आयोग को क्यों जमा कराया गया?
 
जिन बच्चों के जन्म में ही लापरवाही हुई, उनकी पूरी परवरिश कैसे हुई इसकी चर्चा जरूरी है...

अभी
 कुछ महीने पहले ही, एक दिन लालू जी ने अपने आवास में पाटलिपुत्र के एक महान विश्वविद्यालय के कुलपति को आमंत्रित किया। वैसे उस महान विश्वविद्यालय को जमीनदोज कर देने, उसकी साख मिट्टी में मिला देने का पावन काम भी इन्हीं लालू प्रसाद जी ने किया था।
 
खैर... कुलपति... लालू जी के घर पर हाजिर हुए... सीधा बैठक में पहुंचे तो वहां कोई नहीं था... लालू जी भीतर थे, लेकिन सामने सोफा पर एक युवा बैठा था। उस युवा ने हाथ मिलाने की मंशा से कुलपति की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा - “हैलो सर,  माइ सेल्फ तेज प्रताप यादव।“ कुलपति क्या करते, उन्होने उस लड़के से हाथ मिला लिया। तबतक लालू जी आ गए, और उस लड़के का ये कारनामा देख लिया। कुलपति के पास आकर लालूजी ने लड़के को नजदीक बुलाया, एक जोरदार चांटा उसके गाल पर जड़ दिया। चांटा इतने जोर का था कि वो लड़का लड़खड़ा कर गिरते गिरते बचा।
 
फिर लालू जी ने धाराप्रवाह गालियां देनी शुरू कीं। “देखिए तो... वंश नाश कर दिया हमारा। मेरी वाईफ ने सबको बिगाड़ दिया। पढ़ना होता नहीं है और वाइस चांसलर से हाथ मिलाने चले हैं। पैर छुओ इनका... ये गुरूजी हैं तुम्हारे।“

फिर वीसी से शिकायत करने लगे “एकदम बज्रमूर्ख है हमरे सपूत लोग... आप ही के कॉलेज में पढ़ता है, और तमीज देखिए, आपसे हाथ मिला रहा है। आप तो पढ़ने पढ़ाने का काम करते हैं, किसी तरह पढ़वा देते इन लोगों को... वगैरह वगैरह...
 
कुछ महीने पहले अपनी मूर्खता के लिए, वीसी के सामने अपने पिता से झापड़ खानेवाले वो सपूत... लालू जी के बड़े बेटे श्री तेज प्रताप यादव थे। अभी-अभी वो बिहार के स्वास्थ मंत्री बनाए गए हैं।
 
ध्यान देनेवाली बात ये है कि स्वास्थ मंत्रालय में खूब पैसा है। डॉक्टरों को लाइसेंस से लेकर दवा विक्रेताओं तक को परमिट यही विभाग देता है। देशभर की दवा कंपनियों का सबसे बड़ा बाजार है बिहार। यहां, देश में सबसे ज्यादा ओवर द काऊंटर दवाएं बिकती है।
 
पहले कोई चालाक मंत्री, किसी मूर्ख राजा को गद्दी पर बिठाकर पीछे से शासन करता था। अब एक चालाक बाप अपने मूर्ख बेटे को गद्दी पर बिठा शासन करते रहना चाहता है। लेकिन अगर कहीं बाप मर गया.... तो बेटे के एक भाई और सात बहनोई उत्तराधिकार के लिए क्या करेंगे, ये बात वो बाप और उसकी बीवी सोच ही नहीं पाए कभी।  लेकिन हर बाप की तरह ये बाप भी तो मरेगा ही, फिर क्या होगा उसकी पार्टी और उसके पढ़ नहीं पानेवाले बेटों का?
 
ये सवाल जनता से ज्यादा तो उस बाप की नींद उड़ा रहा होगा।

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