Monday, September 18, 2017

भिखारी और साधु

भिखारी और साधु का फर्क क्या है
भिखारी आपके पास आता है। फौरन जितनी जल्दी हो सके जितना हो सके शोषण कर लेने के ध्येय से। आपने उसकी योजना के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं किया तो वो आपको गालियां भी देगा।

आपने उसे शोषण करने दिया तो वो जोंक की तरह आपकी जान लेकर भी संतुष्ट नहीं होता। भिखारी... आपकी हर परिस्थिति का लाभ उठाएगा।
एक भिखारी दूसरे साधु...
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भिखारी भीख को अपना हक समझता है।
अगर भिखारी को लग गया कि आप उसे शोषण नहीं करने देंगे तो वो आपके पास दोबारा नहीं फटकेगा। लेकिन शोषण की सुविधा नहीं मिलने पर वो आपको गालियां और बददुआ जरूर देगा। आपको दुश्मन की तरह देखेगा मानेगा समझेगा।
साधु भी आपके पास आता है पर वो फौरन नहीं चाहता कुछ भी। वो आपके पास बैठता है आपसे बातें करता है लेकिन कुछ मांगता नहीं। आपको लगता है कि उसको कुछ देने की जरूरत है तो दीजिए अन्यथा वो चला जाएगा, और कुछ समय बाद फिर आएगा। तब तक आता रहेगा जब तक कि आपसे उसका एक रिश्ता नहीं बन जाता है और आप उसके आने से खुश नहीं होते। उसका इंतजार नहीं करने लगते।
साधु... अपनी भिक्षा के लिए एक परिस्थिति बनाएगा,
तो संसार में लोग भी ऐसे ही होते हैं...
भिखारी आपके रिश्ता, शोषण के लिए बनाएंगे शोषण करेंगे और निकल जाएंगे... शोषण नहीं होने देने पर वो आपको गालियां और बददुआ भी देंगे। भीख को वो अपनी चालाकी से हासिल किया अपना हक समझेंगे और मानेंगे।

साधु आपसे रिश्ता बनाएंगे... और उसी से खुश संतुष्ट रहेंगे। रिश्ता होगा तो स्वत: ही उनको कुल लाभ होगा जिसे वे बहुत ज्यादा महत्व नहीं देंगे। भिक्षा को वो आपकी उदारता समझेंगे।

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